मध्य का मार्ग रखना सदैव श्रेष्ठ माना गया है.

..श्रीनारायण..
हमारे सदगुरु स्वामीजी अच्युतानंदनजी महाराज कहते थे कि
संत सद्गुरु का वास्तविक जीवन जीना हो तो ध्यान रखना आधा समय वन में रहना और आधा समय जन में रहना.
ऐसी गलती नहीं करना की केवल जनसंपर्क उपदेश वार्ता ही करते फिरे आत्मकल्याण रह गया और ऐसा भी न हो कि एकांत वासी ही रहे ज्ञान आगे बढ़ा ही नहीं.
मध्य का मार्ग रखना सदैव श्रेष्ठ माना गया है.
-श्रीनारायण भक्ती पंथ

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