श्रीनारायण
जया एकादशी के दिन भगवान नारायण की शेषशायी मूर्ति का सीताफल व सिंघाड़े से पूजन करना चाहिए तथा सिंघाड़े का सागार और गोंदगीरी का साठा बनाकर भगवान नारायण को अर्पण करें एवं इसे ही आहार के रूप में ग्रहण करें। इस तरह जया एकादशी का व्रत करने से दरिद्रता समाप्त होती है इसमें तनिक भी संदेह नहीं करना चाहिए। इस दिन धन, वस्त्र और छाते के दान का विधान है अतः यथा संभव इन वस्तुओं का दाम योग्य ब्राह्मण को करें।
नोट:- गोंदगीरी का साठा तथा सिंगाड़े का सागार बनाने की विधि
चूंकि इस विधि का प्रयोग उपवास में करना है अतः सिर्फ सिंगाड़ा और राजगिरे के आटे का ही उपयोग करें।

